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Showing posts from December, 2020

Delhi AIIMS Nurse Demand:

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 Delhi AIIMS Nurse Demand: Delhi is the capital of India and it is the map of the entire economy of India that is where the government operates. Moreover, this is also the beginning of the ministry and PIB Press. In such a situation, how do we forget the health department, Delhi is said to be the heart of the whole of India. But, as soon as it comes to health, Indira Gandhi Aryvedic Medical College (AIIMS DELHI), which is a scene that shook the soul, is coming out. Nursing strike in Delhi AIIMS has caused problems and floods for patients Nursing demands that the government is not serving them before and after their stipulated period, nor are they being kept as permanent (permanent) work and they are being allowed to go on some kind of leave. Some improvements in administration: farmers Doctor: So they are giving their consent on their demand, but these nurses say that they should do it in writing instead of oral Inspirational Story: Must Be Aim to Live

DELHI AIIMS : Nurse protest

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 दिल्ली एम्स के  नर्स की माँग : दिल्ली भारत की राजधानी यही से पिरे भारत की पूरी अर्थव्यवस्था की मेप रची जाती हैं यही से सरकार चलती है। और तो और यही से मंत्रालय एवं पी आइ बी प्रेस की सुरुआत भी होती हैं  ऐसे में हम स्वास्थ बिभाग को कैसे भूल जाते हैं कहने को तो पूरे भारत का हृदय दिल्ली को माना जाता है। लेकिन लेकिन स्वास्थ की बात आते ही इन्दिरा गाँधी आर्यवेदिक चिकित्सकिय महाविद्यालय ( AIIMS DELHI ) की जो रूह कंपा देने वाली दृश्य हो सामने आ रही हैं।  दिल्ली एम्स में नर्सिंग की हरताल से मरीज़ों की तकलीफ़ें और बाढ़ गयी हैं  नर्सिंग की माँग हैं की सरकार उन्हें तय अवधि से पहले और बाद तक उनसे सेवा ले रही हैं और ना ही उन्हें परमानेंट (स्थायी)  काम के तौर पर रख रही हैं  औरं ही उन्हें किसी तरह की अवकाश पे जाने दिया जा रहा हैं  प्रशासन के कामों में कुछ सुधार :किसान डॉक्टर :तो इनकी माँगे पर अपनी सहमती दे रहे हैं लेकिन इन नर्स का कहना हैं की इन्हें मौखिक की जगह इन्हें लिखित तौर पर अस्वास्त करे  प्रेरणदायक कहानी :जीने का मक़सद होना चाहिए

Ashok ka shilaalekh अशोक का शिलालेख :स्तंभ

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 स्तंभ :अशोक का शिलालेख  ज्वार भाटा (tide) केसे होता हैं ?    अशोक के राज्यकाल के दौरान स्तंभों के शिलालेख ( राजकोय प्रतीक ) के रूप में या युद्ध में जीत के उपलक्षय में आती महत्वप्रूनहो गए। साथ ही उसके राजकिय उपदेशों का प्रचार करने के लॉ भी स्तंभों का उपयोग किया।  औसतन 40 फ़ीट ऊँचे, ये स्तंभ समान्यत : चुनार के बलुआ पठार या प्रस्तर से बनाए गए थे और इसके चार भाग थे लम्बा मुठ आधार का निर्माण करता था। जोकी प्रस्तर के एक ही खंड अथवा एकाशम प्रस्तर से बना होता था। इसके सबसे ऊपर कमल या घंटे के आकार में शीर्ष या ललाट ईरानी स्तंभों से प्रभावित थे क्योंकि ये स्तंभ अत्याधिक पालिशदार और चमकदार थे। ललाट के ऊपर शीर्ष-फलक के रूप में ज्ञात विर्ताकार या आयातकार आधार होता था जिस पर पशु मूर्ति होती थी    उदाहरण :-चंपारन में “लोरियाँ नंदनघढ़” स्तंभ वराणशी में “सारनाथ स्तंभ” आदि  स्तूप :- स्तूप वेदिक काल से भारत में प्रचलित “श्वाघट टीले “थे यह अंत्येष्टि  मेघ पुंज का पारम्परिक निर्देशन हैं। इसमें “मृतकों के अवशेषों और राख को रखा जाता” था अशोक के राज्यकाल के दौरान स्तूप कला अपने चरमोत्कर्ष  पर पहुँच गयी। उसक

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