indian songs-भारतीय संगीत का इतिहास civil service

एल्वन:प्रेरणाश्रोत कहानी  

परिचय :- संगीत किसी भी संस्कृति की आत्मा होती हैं और भारत में संगीत की सुदीर्घ परम्परा रही हैं भारतीय संगीत का इतिहास अति जतील हैं । इसका उदभाव शास्त्रीय संगीत से हुआ और इसमें पशिचमी तत्त्व समाहित हो गये हैं और यह संयोजक हमारी आत्मा के साथ प्रतिधवनित होता हैं यह कहा जाता हैं की पृथ्वी पर  नारद मुनि ( ऋषि ) ने संगीत कला को शुभारंभा किया था उन्होंने नारदभरहम नामक पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त धवनि के विषय में भी यहाँ के निवासियो को बताया था सिंधु घाटी के सभ्यता के स्थलों पर सात -छिर्दो वाली बाशूरि और रावणहत्था जैसे संगीत वाध पाए गए हैं 

प्रेरणाश्रोत कहानी :एलवान


अशोक का स्तंभ :history of ashok


हमें पहली बार दो हज़ार वर्ष पहले वेदिक काल में संगीत साहित्यक प्रमाण मिलता है राग (खरहरप्रिया) के सभी सातों स्वर में साम वेद में अवरोही क्रम में पाए जा सकते है संगीत विज्ञान को गंधरव वेद कहा जाता है यह सामवेद का उपवेद है वीना के कुछ भागो का उल्लेख एतरेय आरण्य में आता हैं जैमिनि भ्रह्मन सामूहिक रूप से  निर्त्य और संगीत की बात करते हैं कोस्तिकी भ्राह्मण निर्त्य गायन और वाध संगीत को कला के रूप में एक साथ रखते हैं कुछ संगीतविंद भी कहते है। की सबसे प्रारम्भिक राग साम राग था उन्होंने अपने ओम् शब्द को सभी रागक और स्रोतहोने के विषय में सिधान्त प्रतिपादित किया हैं 500 इशा प्रुव में पाणिनि ने संगीत कला का पहला वास्तविक संद्र्भ दिया  लेकिन संगीत सिंधान्तके पहले संद्र्भ की चर्चा ईसा प्रुव 200 से 200 ईसवी के बीच लिखित और संकलि। भरत के नाट्यशाष्ट्र में मिलती है 



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